
मेधा पाटकर को जुर्माने पर राहत नहीं, दिल्ली HC बोला- पहले सेशन कोर्ट जाएं
Delhi High Court: सामाजिक कार्यकर्ता और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर को दिल्ली हाईकोर्ट से उस समय राहत नहीं मिल सकी, जब उन्होंने एक लाख रुपये के जुर्माने की तामील को कुछ समय के लिए टालने की गुजारिश की. हाई कोर्ट ने उन्हें साकेत सेशन कोर्ट से संपर्क करने की सलाह दी और कहा कि कानूनी प्रक्रिया का पालन पहले जरूरी है.
दरअसल, यह मामला वर्ष 2000 का है, जब वर्तमान में दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने, उस समय एक एनजीओ प्रमुख रहते हुए, मेधा पाटकर के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया था. आरोप था कि पाटकर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में उन पर गंभीर आरोप लगाए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची.
साकेत कोर्ट ने मानहानि मामले में सुनाई थी सजा
काफी लंबे समय तक चली कानूनी प्रक्रिया के बाद, मजिस्ट्रेट अदालत ने जुलाई 2024 में पाटकर को दोषी ठहराया और पांच महीने की साधारण कैद के साथ 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. हालांकि, सत्र न्यायालय ने इस आदेश में राहत देते हुए अप्रैल 2025 में उन्हें जेल जाने से छूट दी और “अच्छे आचरण की प्रोबेशन” पर रिहा किया. साथ ही, एक लाख रुपये मुआवजा राशि जमा करने की शर्त भी रखी गई.
दिल्ली HC में मेधा पाटकर ने दाखिल की थी याचिका
दिल्ली हाईकोर्ट में पाटकर की ओर से यह याचिका दायर की गई थी कि जुर्माना जमा करने और प्रोबेशन बांड भरने के लिए थोड़ी मोहलत दी जाए. लेकिन जस्टिस शालिंदर कौर ने कहा कि पहले ट्रायल कोर्ट का आदेश मानना होगा उसके बाद ही आगे की कोई राहत मिल सकती है.
अदालत ने पाटकर के वकील की बात को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामला 19 मई के लिए सूचीबद्ध किया है . इस दिन उस याचिका पर भी सुनवाई होगी जिसमें, पाटकर ने अपने दोषसिद्धि को चुनौती दी है. अब पाटकर को सेशन कोर्ट में एक लाख रुपये मुआवजा राशि जमा करानी होगी और 25,000 रुपये का प्रोबेशन बांड एक जमानती के साथ दाखिल करना होगा, जिसकी वैधता एक वर्ष की होगी.
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